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लगे सभी को कामिनी

छंद
कोयल से मीठे बोल, कटि करती किलोल,
चांद जैसा मुखड़ा, दमकती ज्यों दामिनी।
कारी कारी मतवारी, अखियां लगें कटारी,
अंधियारी जैसे कि, घिरी हुई है यामिनी।।
प्यारी गौर वर्ण धारी, लगती है मनहारी,
अंतस शिकारी सी, लगे सभी को भामिनी।
नयन नशीले भारी, लिए जो अटारी चढ़ी,
काम को लजाती सी, लगे सभी को कामिनी।।
रचनाकार ✍️
भरत सिंह रावत भोपाल मध्यप्रदेश


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1 Comments

Adeeba Riyaz

15-Aug-2021 12:34 PM

Great

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